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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के स्थापना दिवस पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए AAP पर भरोसा करने वाले लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, "आम आदमी पार्टी के स्थापना दिवस पर मैं देशभर के लाखों साथियों, सभी वॉलंटियर्स और हर उस आम आदमी को दिल से प्रणाम करता हूं, जिन्होंने भरोसा किया कि राजनीति ईमानदारी से भी की जा सकती है." और पढ़ेंउन्होंने आगे लिखा कि ये पार्टी नेताओं की नहीं, जनता की पार्टी है. चौपालों से लेकर सड़कों तक हमारे वॉलंटियर्स ने दिन-रात मेहनत करके बदलाव की लौ जलाई है. केजरीवाल ने कहा कि आज जो भी उपलब्धियां हैं, वो जनता के विश्वास और हमारे सिपाहियों की तपस्या का परिणाम हैं.
आम आदमी पार्टी के स्थापना दिवस पर मैं देशभर के लाखों साथियों, सभी वॉलंटियर्स और हर उस आम आदमी को दिल से प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने भरोसा किया कि राजनीति ईमानदारी से भी की जा सकती है।
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दिल्ली: क्या MCD उपचुनावों में AAP के बड़े नेताओं ने BJP को वॉकओवर दे दिया है? — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 26, 2025अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हम वादा करते हैं कि सच्चाई, ईमानदारी और देशसेवा का ये सफ़र और भी मजबूती से आगे बढ़ेगा. आपका साथ ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है." ऐसे हुई थी आम आदमी पार्टी की स्थापना अरविंद केजरीवाल ने 26 नवंबर 2012 को 'आम आदमी पार्टी' नाम से अपनी राजनीतिक पार्टी की स्थापना की थी. उस वक्त केजरीवाल ने कहा था कि सभी पार्टियों ने धोखा दिया है और जब तक राजनीति नहीं बदलेगी, तब तक भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिल सकती. इसीलिए उन्होंने 'मजबूरी में' आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन किया था.
Advertisement पार्टी की लॉन्चिंग के समय अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि सभी पार्टियों ने धोखा दिया है. उन्होंने आरोप लगाया था कि सभी पार्टियां पर्दे के पीछे से एक-दूसरे की मदद करती हैं. उनका मानना था कि जब तक राजनीति में बदलाव नहीं आएगा, तब तक देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिल सकती. इसलिए, AAP का गठन एक मजबूरी के रूप में किया गया था. आम आदमी पार्टी 2013 के आखिर में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी. पार्टी ने दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की. पहले ही चुनाव में पार्टी ने सभी को चौंकाते हुए दिल्ली की 70 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की. इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को रिकॉर्ड वोटों के अंतर से हराया था.
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